जबलपुर आश्रम में साल में कई बार अखण्ड कीर्तन होता है, और नित्य रोज शाम को भी कीर्तन होता है । सबसे बडा पर्व होता है गुरु पूर्णीमा का । दूसरा बडा पर्व होता है फल्गुण शुक्ल पन्चमी के दिन (श्रीबाबा की पुण्य तिथी) । तीसरा एक पर्व स्थानीय स्कूलो के लिये किया जाता है, हर वर्ष की ३१ दिसम्बर के दिन, जब विध्यार्थीयों को सम्मानित किया जाता है ।
श्रीबाबा के समय के भजन श्री श्री पूज्य मीरांबहनजी (माई) की मधुर अवाज में
अखन्ड कीर्तन (३२ मिनिट)…
आना सुन्दर श्याम हमारे घर कीर्तन में…
मंगल भवन अमंगल हारी…
पूजन बन छाडि है माधो…..
मेरे जटाधारी नाथ…
श्याम बडो चितचोर जय श्री राधे राधे…
अजब निराले है, बाल घुन्घर वाले है…वो ही मेरो श्याम..
मन तू गोबिन्द गोबिन्द बोल…
भजो राधेकृष्णा राधेकृष्णा राधे गोबिन्द….(ये गोपाल बाबा की झुमानेवाली मीठी, प्रिय कृष्ण धुन होती थी)
हरे कृष्ण हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे….
भजो राधे गोबिन्दा गोपाला तेरा प्यारा नाम है नन्दलाला तेरा प्यारा नाम है….
जय हनुमान जय जय हनुमान सन्कट मोचन कृपा निधान….
मन लाग्यो मेरो राम फकीरी में…(कबीर भजन)
श्री राम जय राम जय जय राम…(कीर्तन)
राधे कृष्णा गोबिन्द हरे…
जिन मुख में राम का नाम नहीं…
श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम…(राम धुन)
गुरुदेव नमाह गुरुदेव नमाह..(भजन)
चामडे की पूतली भजन कर री..(कबीर भजन)
आरती श्री हरी घट घट वासी श्री सच्चिदानन्दा सुख रासी….
अनूप भैया के गाये भजन
तेरी आस लगाई रे, ए मेरे प्यारे बाबा..राम के प्यारे बाबा…
गुरु शरणम सत्गुरु शरणम…..
उमादीदी के गाये भजन
बोलो हरी का नाम…(एक राम धुन)
मोरी पत राखो गिरधारी….
very nice bhajan